Male Infertility : आज के समय में, पुरुष और महिलाएं दोनों ही अपनी प्राइवेट समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने में संकोच करते हैं। खासकर पुरुष इनफर्टिलिटी, यानी पुरुष नपुंसकता के बारे में, चर्चा करने से कतराते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि वे अपनी समस्याओं को लेकर अकेले जूझते रहते हैं, जबकि समय रहते इनका समाधान ढूंढा जा सकता है। अगर आप भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं, तो खुलकर बात करना और सही जानकारी हासिल करना बेहद जरूरी है।
भारत में बढ़ती मेल इनफर्टिलिटी
भारत में मेल इनफर्टिलिटी के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, हर छह में से एक कपल इस समस्या से जूझ रहा है, और इनमें से अधिकतर मामलों में पुरुषों में इनफर्टिलिटी पाई जा रही है। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग इसके बारे में खुलकर बात नहीं करते, जिससे समय रहते इसका इलाज नहीं हो पाता।
मेल इनफर्टिलिटी के प्रमुख कारण
मेल इनफर्टिलिटी के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारणों के बारे में जानना और उन्हें समझना महत्वपूर्ण है ताकि आप समय रहते अपनी सेहत का ध्यान रख सकें।
1. स्पर्म काउंट की कमी
स्पर्म काउंट की कमी मेल इनफर्टिलिटी का एक प्रमुख कारण है। एक स्वस्थ पुरुष के स्पर्म सैंपल में मिलियन स्पर्म होते हैं, लेकिन अगर इनकी संख्या कम हो जाती है, तो यह समस्या का कारण बन सकता है। इसके अलावा, स्पर्म की क्वालिटी भी कंसीव करने में अहम भूमिका निभाती है। अगर स्पर्म की क्वालिटी कमजोर होती है, तो इसका असर प्रेग्नेंसी पर पड़ता है।
2. रिप्रोडक्टिव सिस्टम में समस्या
मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम में समस्या, जैसे वेरिकोसील (स्क्रोटम में बढ़ी हुई नसें) भी मेल इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती है। यह स्थिति स्पर्म की क्वालिटी और काउंट को प्रभावित करती है, जिससे प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है।
3. इन्फेक्शन
वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी स्पर्म की क्वालिटी में गिरावट का कारण बन सकते हैं। इनमें एपिडिडाइमिस का संक्रमण, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज जैसे गोनोरिया और एचआईवी शामिल हैं। इन इन्फेक्शन्स के कारण स्पर्म की संख्या और क्वालिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ जाती है।
4. पर्यावरणीय कारण
पर्यावरण में मौजूद कुछ फैक्टर भी स्पर्म के उत्पादन और उसकी क्वालिटी को कम कर सकते हैं। अत्यधिक हीट, इंडस्ट्रियल टॉक्सिन, केमिकल्स, लीड जैसे हैवी मेटल एक्सपोजर, एक्स-रे या रेडिएशन, और सौना या हॉट टब का लगातार इस्तेमाल, ये सभी फैक्टर स्पर्म काउंट और क्वालिटी को प्रभावित कर सकते हैं।
5. इजेकुलेशन डिसऑर्डर
रिट्रोग्रेड इजेकुलेशन जैसी स्थिति, जिसमें सीमेन पीनिस से बाहर निकलने की जगह ब्लैडर में चला जाता है, या समय से पहले इजेकुलेशन (प्रीमैच्योर इजेकुलेशन), ये समस्याएं भी मेल इनफर्टिलिटी को बढ़ा सकती हैं। इन समस्याओं के कारण स्पर्म एग तक पहुंचने में असमर्थ हो जाता है, जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना कम हो जाती है।
क्या करें?
अगर आपको लगता है कि आप मेल इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं, तो सबसे पहले आपको इसके बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना और सही निदान प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। शुरुआती चरण में इसका इलाज संभव है, और समय पर कदम उठाने से आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं।
मेल इनफर्टिलिटी एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसे सही समय पर पहचाना और इलाज किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप इसके लक्षणों को समझें और समय रहते डॉक्टर से परामर्श लें। स्वस्थ जीवनशैली, सही खान-पान, और नियमित जांच से आप इस समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं और पिता बनने का सपना पूरा कर सकते हैं।