India Diabetes Biobank Innovation: भारत में डायबिटीज जैसी तेजी से बढ़ती बीमारी के इलाज और शोध को नई दिशा देने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) ने मिलकर देश का पहला डायबिटीज बायोबैंक स्थापित किया है. यह अत्याधुनिक बायोबैंक चेन्नई में स्थित है और डायबिटीज के इलाज और रिसर्च में मील का पत्थर साबित होगा.
क्या है बायोबैंक?(India Diabetes Biobank Innovation)
बायोबैंक एक ऐसा केंद्र है जहां बायोलॉजिकल सैंपल जैसे खून, डीएनए, और अन्य टिशूज़ को स्टोर किया जाता है. इन सैंपल्स का उपयोग भविष्य के शोध के लिए किया जाता है. चेन्नई स्थित यह बायोबैंक खासतौर पर टाइप 1, टाइप 2, और गेस्टेशनल डायबिटीज जैसे विभिन्न प्रकारों पर रिसर्च करेगा. साथ ही यह नए बायोमार्कर्स की पहचान करने और पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट स्ट्रैटेजी विकसित करने में मदद करेगा.
MDRF की बड़ी पहल
MDRF के चेयरमैन डॉ. वी. मोहन ने बताया कि बायोबैंक की स्थापना की प्रक्रिया कई वर्षों से चल रही थी. उन्होंने कहा कि हमने युवा डायबिटीज के कई प्रकारों के ब्लड सैंपल को स्टोर किया है. यह शोध डायबिटीज के शुरुआती डायग्नोस को आसान बनाने के साथ-साथ बीमारी के जटिल पहलुओं को समझने और प्रभावी इलाज विकसित करने में मददगार होगा.
डायबिटीज की गंभीरता: रिपोर्ट के आंकड़े
एक सरकारी अध्ययन के अनुसार, जिसमें 1.2 लाख भारतीयों को शामिल किया गया था, डायबिटीज की समस्या भारत में तेजी से बढ़ रही है. 2008 से 2020 तक के आंकड़ों में 33,537 शहरी और 79,506 ग्रामीण निवासियों की जांच की गई. यह अध्ययन बताता है कि मेटाबॉलिक बीमारियों, जैसे डायबिटीज, का प्रचलन भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में चिंताजनक दर से बढ़ रहा है.
शहरी क्षेत्रों में जहां जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं अधिक हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी खानपान और अस्वस्थ आदतों के कारण यह समस्या बढ़ रही है. यह स्थिति भविष्य में स्वास्थ्य पर भारी बोझ डाल सकती है, और इससे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.
डायबिटीज बायोबैंक के मुख्य लाभ
शोध और उपचार: बायोबैंक में ICMR यंग डायबिटीज रजिस्ट्री के तहत कई ब्लड सैंपल्स स्टोर किए गए हैं। ये सैंपल्स भारतीय आबादी में टाइप 1, टाइप 2, और गेस्टेशनल डायबिटीज की विशिष्ट विशेषताओं को दर्शाते हैं।
पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट: यह रोगी-विशिष्ट इलाज विकसित करने में मदद करेगा, जिससे इलाज अधिक प्रभावी होगा।
नए बायोमार्कर्स: बायोबैंक नए बायोमार्कर्स की पहचान करेगा, जो बीमारी की प्रगति और डायग्नोसिस में सहायक होंगे।
जटिलताओं का अध्ययन: डायबिटीज के कारण होने वाली जटिलताओं को समझने और उनके समाधान पर फोकस किया जाएगा.
भविष्य की उम्मीद
भारत का यह पहला डायबिटीज बायोबैंक बीमारी की शुरुआती पहचान और रोकथाम में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. यह न केवल भारतीय आबादी के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर डायबिटीज रिसर्च को भी नई दिशा देगा. डायबिटीज के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए यह पहल निस्संदेह एक आशा की किरण है. भारत का यह बायोबैंक भविष्य में डायबिटीज के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाएगा और शोधकर्ताओं को बीमारी के बेहतर समाधान ढूंढने में मदद करेगा.