Sustainable Living – Wellnesshealthorganic.com https://wellnesshealthorganic.com Wellnesshealthorganic Thu, 19 Dec 2024 11:29:01 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://wellnesshealthorganic.com/wp-content/uploads/2024/06/cropped-Green_and_White_Circle_Modern_Organic_Shop_Logo-removebg-preview-e1718881254890-32x32.png Sustainable Living – Wellnesshealthorganic.com https://wellnesshealthorganic.com 32 32 Footwear-Related Health Issues: क्या आपके जूते बन रहे हैं बीमारी की वजह? जानें सेहत से जुड़ी ये अहम बातें https://wellnesshealthorganic.com/footwear-related-health-issues/ https://wellnesshealthorganic.com/footwear-related-health-issues/#respond Thu, 19 Dec 2024 11:28:01 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5771
Footwear-Related Health Issues: जूते हमारे रोजमर्रा के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गलत जूते पहनने से कई स्वास्थ्य समस्याएं(Footwear-Related Health Issues) हो सकती हैं? BHU के फिजिकल एजुकेशन विभाग द्वारा किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि जूतों को सही तरीके से न चुनने पर घुटने, पैरों और शरीर के बैलेंस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इस अध्ययन में खिलाड़ियों और आम लोगों पर जूतों के प्रभाव का विश्लेषण किया गया.

रिसर्च से क्या पता चला?

इस शोध में 15-25 साल के 1000 से 1500 खिलाड़ियों पर सर्वे किया गया। यह पाया गया कि शरीर के बैलेंस और पैरों के आर्क के अनुसार जूते न पहनने से आर्थराइटिस, फ्लैटफिट, नॉक-नी और अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है. अध्ययन में यह भी देखा गया कि खिलाड़ी या युवा समय से पहले अनफिट हो जाते हैं. खासतौर पर वे लोग, जो केवल सस्ते, सुंदर और टिकाऊ जूते खरीदते हैं, अपने स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डालते हैं.

बच्चों के विकास पर प्रभाव

शोध में इस बात पर जोर दिया गया कि बच्चों के लिए बड़े आकार के जूते खरीदने की प्रथा गलत है. बड़े जूते पहनने से बच्चों के पैरों का सही विकास रुक सकता है, जिससे आगे चलकर शरीर के संतुलन और चलने के तरीके पर असर पड़ता है. पैरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों के लिए आरामदायक और सही फिटिंग वाले जूते चुनें.

जूते चुनने के सही तरीके(Footwear-Related Health Issues)

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, जूते खरीदते समय उनकी आरामदायक फिटिंग, पैरों के आर्क और शरीर के संतुलन का ध्यान रखना चाहिए. आरामदायक जूते चुनें: हमेशा पैरों के लिए सही फिटिंग वाले जूते खरीदें. सही समय तक जूते पहनें: लंबे समय तक जूते पहनने से पैरों में थकान और दर्द हो सकता है. खेलों के लिए विशेष जूते: खिलाड़ियों को उनके खेल के अनुसार जूते खरीदने चाहिए. सही सामग्री का चयन: सांस लेने वाली सामग्री से बने जूते खरीदें ताकि पैरों में पसीना न हो. गलत जूते पहनने से न केवल आपके पैरों का विकास प्रभावित होता है बल्कि यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी नुकसान पहुंचा सकता है. इसीलिए जूते खरीदते समय उनके आराम, फिटिंग और उपयोगिता का विशेष ध्यान दें. याद रखें, “आपके जूते सिर्फ फैशन का हिस्सा नहीं, आपकी सेहत के लिए भी अहम हैं.
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India Diabetes Biobank Innovation: भारत का पहला बायोबैंक, डायबिटीज के इलाज में नई क्रांति की शुरुआत https://wellnesshealthorganic.com/india-diabetes-biobank-innovation/ https://wellnesshealthorganic.com/india-diabetes-biobank-innovation/#respond Tue, 17 Dec 2024 12:02:51 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5738
India Diabetes Biobank Innovation: भारत में डायबिटीज जैसी तेजी से बढ़ती बीमारी के इलाज और शोध को नई दिशा देने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) ने मिलकर देश का पहला डायबिटीज बायोबैंक स्थापित किया है. यह अत्याधुनिक बायोबैंक चेन्नई में स्थित है और डायबिटीज के इलाज और रिसर्च में मील का पत्थर साबित होगा.

क्या है बायोबैंक?(India Diabetes Biobank Innovation)

बायोबैंक एक ऐसा केंद्र है जहां बायोलॉजिकल सैंपल जैसे खून, डीएनए, और अन्य टिशूज़ को स्टोर किया जाता है. इन सैंपल्स का उपयोग भविष्य के शोध के लिए किया जाता है. चेन्नई स्थित यह बायोबैंक खासतौर पर टाइप 1, टाइप 2, और गेस्टेशनल डायबिटीज जैसे विभिन्न प्रकारों पर रिसर्च करेगा. साथ ही यह नए बायोमार्कर्स की पहचान करने और पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट स्ट्रैटेजी विकसित करने में मदद करेगा.

MDRF की बड़ी पहल

MDRF के चेयरमैन डॉ. वी. मोहन ने बताया कि बायोबैंक की स्थापना की प्रक्रिया कई वर्षों से चल रही थी. उन्होंने कहा कि हमने युवा डायबिटीज के कई प्रकारों के ब्लड सैंपल को स्टोर किया है. यह शोध डायबिटीज के शुरुआती डायग्नोस को आसान बनाने के साथ-साथ बीमारी के जटिल पहलुओं को समझने और प्रभावी इलाज विकसित करने में मददगार होगा.

डायबिटीज की गंभीरता: रिपोर्ट के आंकड़े

एक सरकारी अध्ययन के अनुसार, जिसमें 1.2 लाख भारतीयों को शामिल किया गया था, डायबिटीज की समस्या भारत में तेजी से बढ़ रही है. 2008 से 2020 तक के आंकड़ों में 33,537 शहरी और 79,506 ग्रामीण निवासियों की जांच की गई. यह अध्ययन बताता है कि मेटाबॉलिक बीमारियों, जैसे डायबिटीज, का प्रचलन भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में चिंताजनक दर से बढ़ रहा है. शहरी क्षेत्रों में जहां जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं अधिक हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी खानपान और अस्वस्थ आदतों के कारण यह समस्या बढ़ रही है. यह स्थिति भविष्य में स्वास्थ्य पर भारी बोझ डाल सकती है, और इससे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.
डायबिटीज बायोबैंक के मुख्य लाभ
शोध और उपचार: बायोबैंक में ICMR यंग डायबिटीज रजिस्ट्री के तहत कई ब्लड सैंपल्स स्टोर किए गए हैं। ये सैंपल्स भारतीय आबादी में टाइप 1, टाइप 2, और गेस्टेशनल डायबिटीज की विशिष्ट विशेषताओं को दर्शाते हैं। पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट: यह रोगी-विशिष्ट इलाज विकसित करने में मदद करेगा, जिससे इलाज अधिक प्रभावी होगा। नए बायोमार्कर्स: बायोबैंक नए बायोमार्कर्स की पहचान करेगा, जो बीमारी की प्रगति और डायग्नोसिस में सहायक होंगे। जटिलताओं का अध्ययन: डायबिटीज के कारण होने वाली जटिलताओं को समझने और उनके समाधान पर फोकस किया जाएगा.
भविष्य की उम्मीद
भारत का यह पहला डायबिटीज बायोबैंक बीमारी की शुरुआती पहचान और रोकथाम में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. यह न केवल भारतीय आबादी के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर डायबिटीज रिसर्च को भी नई दिशा देगा. डायबिटीज के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए यह पहल निस्संदेह एक आशा की किरण है. भारत का यह बायोबैंक भविष्य में डायबिटीज के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाएगा और शोधकर्ताओं को बीमारी के बेहतर समाधान ढूंढने में मदद करेगा.
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Vomiting Causes: आपको भी ब्रश करते समय होती है मतली या उल्टी, तो हो जाएँ सावधान https://wellnesshealthorganic.com/vomiting-causes-vomiting-while-brushing/ https://wellnesshealthorganic.com/vomiting-causes-vomiting-while-brushing/#respond Sat, 14 Dec 2024 11:55:49 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5707

Vomiting Causes: आपको भी ब्रश करते समय मतली और उल्टी हुई होगी. लेकिन अगर यह आपके साथ नियमित रूप से हो रहा है तो आपको एक चिकित्सक से तुरंत मिलना चाहिए. हम यह कह रहे हैं क्योंकि शरीर में पित्त बढ़ने या अन्य गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. ब्रश करते समय उल्टी होने की कई वजह हो सकती हैं. यह गैस और एसिडिटी के कारण होता है, लेकिन कभी-कभी अपच भी होता है. हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि यह शरीर में पित्त बढ़ने और लिवर की बीमारी के कारण भी हो सकता है.

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स भी है कारण (Vomiting Causes)

अगर हम इसके कारण को देखे तो ये आपके डाइजेशन(Digestion) के प्रभावित होने की वजह से होता है. जब सामान्यतः खाना सही तरीके से पच नहीं पाता तो शरीर भारी मात्रा में बोले जूस बनाने लगता है जिससे एसिड रिफ्लक्स जैसी स्थिति उत्पन्न होती है. और ऐसा होने से व्यक्ति को बार बार मतली जैसा महसूस होता है.

अगर आपको रोज ही ब्रश करने पर मतली जैसा फील होता है तो इसका एक मुख्य कारण गैस्ट्रोएसोफेगल हो सकता है या पेट में अल्सर के लक्षण भी पाए जा सकते है. इन लक्षणों के चलते आपको मतली आना बढ़ सकता है. इस तरह की बीमारी के लक्षणों वाले लोगों को ज्यादा समय तक खाली पेट नहीं रहना चाहिए.

कहीं किडनी तो खराब नहीं?(kidney health problems)

काफी बार कुछ लोग ब्रश करते समय उल्टी या मतली जैसा महसूस करते है जिसका कारण कई बार एसिडिटी या अपच की वजह से होता है. वहीं कई बार पित्त बढ़ जाने से और लीवर से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है. किडनी की खराबी भी ब्रश करते समय उल्टी या मतली आने के मुख्य कारणों में से एक हो सकती है.

अगर किडनी सही तरीके से काम न कर रही हो तो तो वो पाचन में भी मदद नहीं कर पाएगी. इसके साथ ही जब शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ जाती है तो पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.अगर आप भी ऐसा कुछ महसूस कर रहे है तो आपको बिना देर करे डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

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Winter Body Warmth Tips: सर्दियों में शरीर को गर्म रखने के लिए अपनाएं ये घरेलू नुस्खे और टिप्स https://wellnesshealthorganic.com/winter-body-warmth-tips/ https://wellnesshealthorganic.com/winter-body-warmth-tips/#respond Fri, 13 Dec 2024 12:37:04 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5693

Winter Body Warmth Tips: सर्दियों(Winter) का मौसम सेहत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इस दौरान सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं. सर्दी के मौसम में अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना बहुत जरूरी होता है, और इसके लिए कुछ देसी उपाय मददगार हो सकते हैं.

इनमें से एक बेहद असरदार उपाय लहसुन का सेवन है. लहसुन न केवल खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि यह सर्दियों में शरीर को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है. इसके एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण सर्दी-जुकाम और अन्य संक्रमणों से बचाव करने में कारगर हैं.

सर्दियों में शरीर को गर्म रखने के देसी उपाय (Winter Body Warmth Tips)

1. हल्दी और दूध: एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी डालकर पिएं, यह शरीर को अंदर से गर्म रखता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है.

2. अदरक और शहद: एक चम्मच ताजे अदरक का रस और आधा चम्मच शहद मिलाकर खाएं या अदरक की चाय पिएं.यह सर्दी-जुकाम से बचाता है और शरीर में गर्मी पैदा करता है.

3. घी और शहद: एक चम्मच घी और एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लें. यह पाचन को मजबूत करता है और शरीर को गर्म रखता है.

4. तिल और गुड़: तिल और गुड़ का सेवन करें या तिल-गुड़ लड्डू बनाकर खाएं. यह शरीर को गर्म रखता है और ऊर्जा प्रदान करता है.

5. मसालेदार चाय: अदरक, दारचीनी, इलायची, लौंग और काली मिर्च से मसालेदार चाय पिएं, जो शरीर का तापमान बढ़ाती है और सर्दी से बचाव करती है.

6. सूप और शोरबा: ताजी हरी पत्तेदार सब्जियों का सूप या हड्डी का शोरबा पिएं, यह शरीर को गर्म रखता है और पोषण भी प्रदान करता है.

7. गर्म पानी और नमक: दिनभर गर्म पानी पीने की आदत डालें और कभी-कभी उसमें एक चुटकी नमक डालें, यह शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और ठंड से बचाव करता है.

8. योग और एक्सरसाइज: नियमित योग और हल्की एक्सरसाइज करें, इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और शरीर गर्म रहता है.


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Common Diseases In India: भारत में पैर पसार चुकी है ये बीमारियां, आप भी हो सकते हैं शिकार https://wellnesshealthorganic.com/common-diseases-in-india/ https://wellnesshealthorganic.com/common-diseases-in-india/#respond Mon, 09 Dec 2024 10:08:20 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5625

Common Diseases In India: कोरोना एक ऐसी बीमारी रही है जिसने पूरे भारत को अस्त-व्यस्त करके रख दिया था. इसके बावजूद भी भारत में कई ऐसी बीमारी है जो लोगों को अपना शिकार बना रही है. सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है इस मौसम में यह बीमारियां आपके शरीर पर चोट करती है. ऐसे में सेहत को खास देखभाल की जरूरत भी होती है. अपने आप को हेल्दी और सुरक्षित (Common Diseases In India) रखने के लिए आपको इन बीमारियों के बारे में जान लेना चाहिए और इसे अपना बचाव करना चाहिए.

अस्थमा

अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिस व्यक्ति सर्दियों के मौसम में ज्यादा परेशान हो जाता है. अस्थमा के मरीजों के पास अधिक परेशान होने की स्थिति तब पैदा होती है जब इनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. ऐसे में आपका सांस लेना सांस बढ़ाना जैसी समस्या हो जाती है.

कैंसर

भारत में कैंसर जैसी बीमारी तेजी से अपने पैर पसार रही है. बीमारियों की लिस्ट में यह टॉप नंबर पर आता है. कैंसर हर पहले दूसरे व्यक्ति को अपना मैरिज बना रहा है. ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर के मामले देखने को मिल रहे हैं.

डायबिटीज

डायबिटीज से कैसी बीमारी है जो हर व्यक्ति को अपना शिकार बना रही है. यह बच्चों से लेकर बड़ों तक पर हावी साबित हो रही है. डायबिटीज के मरीजों को अपना खास ध्यान रखना चाहिए. कॉविड सरवाइवर्स डायबिटीज के खतरे में ज्यादा रहते हैं.

हार्ट हेल्थ

आजकल दिल से जुड़ी परेशानियां ज्यादा बढ़ने लग गई है. दिल का दौरा स्ट्रोक हार्टबीट हार्ट फेल्योर हार्ट ब्लॉकिंग जैसे खतरे बने हुए हैं. भारत देश में दिल से जुड़ी बीमारियों से हर व्यक्ति परेशान है.

ब्लड प्रेशर

ब्लड प्रेशर के मरीजों का आंकड़ा लगातार भारत में बढ़ता ही जा रहा है। किसी भी उम्र के लोग ब्लड प्रेशर का शिकार हो रहे हैं। ब्लड प्रेशर होने का सबसे बड़ा कारण खराब लाइफस्टाइल है जिस पर आजकल लोग ज्यादा ध्यान भी नहीं देते हैं।

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Plant Based Diet : अगर आपकी डाइट भी है ऐसी, तो हो जाइए सावधान! जानें चौका देने वाली हक़ीक़त https://wellnesshealthorganic.com/plant-based-diet-is-harmful-or-not/ https://wellnesshealthorganic.com/plant-based-diet-is-harmful-or-not/#respond Mon, 12 Aug 2024 07:36:26 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5372 Plant Based Diet : आज के समय में कई लोग अपने वजन को कम करने और खुद को सुंदर, हेल्दी, और फिट दिखाने के चक्कर में अपने खान-पान पर काफी ध्यान देने लगे हैं। इसके चलते बहुत से लोग वीगन डाइट अपनाने का फैसला करते हैं। वीगन डाइट में लोग पूरी तरह से प्लांट-बेस्ड भोजन का सेवन करते हैं, जिसमें नॉन वेज, अंडे, शहद, जिलेटिन, और डेयरी प्रोडक्ट्स से पूरी तरह से दूरी बनाई जाती है। इस डाइट में अनाज, सब्ज़ियां, नट्स, दाल, और मसालों का सेवन होता है, जबकि डेयरी प्रोडक्ट्स की जगह सोया मिल्क, टोफू, और बादाम का दूध जैसे विकल्प अपनाए जाते हैं।

भले ही वीगन डाइट आजकल काफी ट्रेंडिंग हो और इसके कई फायदे बताए जाते हों, लेकिन यह जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि प्लांट-बेस्ड डाइट सभी के लिए हेल्दी नहीं होती। कुछ स्थितियों में यह डाइट आपके शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकती है। आइए, जानते हैं वीगन डाइट के संभावित नुकसान और उन स्थितियों के बारे में जहां यह आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।

न्यूट्रिएंट्स की कमी

वीगन डाइट अपनाने से आपके शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी हो सकती है। इस डाइट में मांस, अंडे, और डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन नहीं होता, जिससे आपके शरीर को जरूरी न्यूट्रिएंट्स जैसे विटामिन B12, आयरन, कैल्शियम, और ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी हो सकती है। ये न्यूट्रिएंट्स रेड मीट, अंडे, मछली, और दूध में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इनकी कमी से आपके शरीर में ऊर्जा की कमी, कमजोरी, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, अगर आप वीगन डाइट अपना रहे हैं, तो आपको इन न्यूट्रिएंट्स की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत हो सकती है।

एलर्जी का खतरा

प्लांट-बेस्ड डाइट में कई ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं जिनसे एलर्जी का खतरा हो सकता है, जैसे सोया, नट्स, और गेहूं। अगर आप इन खाद्य पदार्थों से एलर्जी से पीड़ित हैं, तो प्लांट-बेस्ड डाइट आपके लिए जोखिम भरी हो सकती है। इसलिए, अगर आप वीगन डाइट अपनाने की सोच रहे हैं, तो पहले अपने शरीर की एलर्जी को समझ लें और अपने डॉक्टर से सलाह लें। फूड एलर्जी का खतरा तब और बढ़ जाता है जब आप नए फूड ट्राई करते हैं, इसलिए लेबल पढ़कर और सतर्क रहकर ही डाइट अपनाएं।

ब्लोटिंग और गैस

प्लांट-बेस्ड डाइट में फल, सब्जियां, और अनाज का अधिक सेवन होता है, जो फाइबर में उच्च होते हैं। हालांकि फाइबर से भरपूर आहार सेहत के लिए अच्छा होता है, लेकिन अगर फाइबर का सेवन अचानक से बढ़ा दिया जाए तो यह पेट की समस्याएं, जैसे गैस और ब्लोटिंग, पैदा कर सकता है। इसलिए, अगर आप वीगन डाइट पर जा रहे हैं, तो धीरे-धीरे फाइबर की मात्रा बढ़ाएं और अपनी गट हेल्थ का ध्यान रखें।

अधिक भूख लगना

नॉन वेज जैसी हाई-कैलोरी डाइट से अचानक प्लांट-बेस्ड डाइट पर शिफ्ट करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है। प्लांट-बेस्ड डाइट में कैलोरी की मात्रा कम होने के कारण आपको बार-बार भूख लगने की समस्या हो सकती है। इससे निपटने के लिए, आपको अपनी डाइट में प्रोटीन और हेल्दी फैट्स की मात्रा बढ़ानी चाहिए, जिससे लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस हो।

वीगन डाइट भले ही ट्रेंडिंग हो और इसके कुछ फायदे भी हों, लेकिन यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं होती। अगर आप इस डाइट को अपनाने का विचार कर रहे हैं, तो पहले अपने शरीर की जरूरतों और स्वास्थ्य स्थितियों को ध्यान में रखें। किसी भी डाइट को अपनाने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना और अपनी सेहत का ध्यान रखना जरूरी है। याद रखें, सही जानकारी और सावधानी से ही आप स्वस्थ और फिट रह सकते हैं।

 

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Male Infertility : पिता बनने का सपना तोड़ सकती हैं ये 5 कमियां, कहीं आप भी तो नहीं झेल रहे मेल इनफर्टिलिटी की समस्या? https://wellnesshealthorganic.com/male-infertility-5-reason-you-should-know/ https://wellnesshealthorganic.com/male-infertility-5-reason-you-should-know/#respond Mon, 12 Aug 2024 07:30:42 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5369 Male Infertility : आज के समय में, पुरुष और महिलाएं दोनों ही अपनी प्राइवेट समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने में संकोच करते हैं। खासकर पुरुष इनफर्टिलिटी, यानी पुरुष नपुंसकता के बारे में, चर्चा करने से कतराते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि वे अपनी समस्याओं को लेकर अकेले जूझते रहते हैं, जबकि समय रहते इनका समाधान ढूंढा जा सकता है। अगर आप भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं, तो खुलकर बात करना और सही जानकारी हासिल करना बेहद जरूरी है।

भारत में बढ़ती मेल इनफर्टिलिटी

भारत में मेल इनफर्टिलिटी के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, हर छह में से एक कपल इस समस्या से जूझ रहा है, और इनमें से अधिकतर मामलों में पुरुषों में इनफर्टिलिटी पाई जा रही है। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग इसके बारे में खुलकर बात नहीं करते, जिससे समय रहते इसका इलाज नहीं हो पाता।

मेल इनफर्टिलिटी के प्रमुख कारण

मेल इनफर्टिलिटी के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारणों के बारे में जानना और उन्हें समझना महत्वपूर्ण है ताकि आप समय रहते अपनी सेहत का ध्यान रख सकें।

1. स्पर्म काउंट की कमी

स्पर्म काउंट की कमी मेल इनफर्टिलिटी का एक प्रमुख कारण है। एक स्वस्थ पुरुष के स्पर्म सैंपल में मिलियन स्पर्म होते हैं, लेकिन अगर इनकी संख्या कम हो जाती है, तो यह समस्या का कारण बन सकता है। इसके अलावा, स्पर्म की क्वालिटी भी कंसीव करने में अहम भूमिका निभाती है। अगर स्पर्म की क्वालिटी कमजोर होती है, तो इसका असर प्रेग्नेंसी पर पड़ता है।

2. रिप्रोडक्टिव सिस्टम में समस्या

मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम में समस्या, जैसे वेरिकोसील (स्क्रोटम में बढ़ी हुई नसें) भी मेल इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती है। यह स्थिति स्पर्म की क्वालिटी और काउंट को प्रभावित करती है, जिससे प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है।

3. इन्फेक्शन

वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी स्पर्म की क्वालिटी में गिरावट का कारण बन सकते हैं। इनमें एपिडिडाइमिस का संक्रमण, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज जैसे गोनोरिया और एचआईवी शामिल हैं। इन इन्फेक्शन्स के कारण स्पर्म की संख्या और क्वालिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ जाती है।

4. पर्यावरणीय कारण

पर्यावरण में मौजूद कुछ फैक्टर भी स्पर्म के उत्पादन और उसकी क्वालिटी को कम कर सकते हैं। अत्यधिक हीट, इंडस्ट्रियल टॉक्सिन, केमिकल्स, लीड जैसे हैवी मेटल एक्सपोजर, एक्स-रे या रेडिएशन, और सौना या हॉट टब का लगातार इस्तेमाल, ये सभी फैक्टर स्पर्म काउंट और क्वालिटी को प्रभावित कर सकते हैं।

5. इजेकुलेशन डिसऑर्डर

रिट्रोग्रेड इजेकुलेशन जैसी स्थिति, जिसमें सीमेन पीनिस से बाहर निकलने की जगह ब्लैडर में चला जाता है, या समय से पहले इजेकुलेशन (प्रीमैच्योर इजेकुलेशन), ये समस्याएं भी मेल इनफर्टिलिटी को बढ़ा सकती हैं। इन समस्याओं के कारण स्पर्म एग तक पहुंचने में असमर्थ हो जाता है, जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना कम हो जाती है।

क्या करें?

अगर आपको लगता है कि आप मेल इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं, तो सबसे पहले आपको इसके बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना और सही निदान प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। शुरुआती चरण में इसका इलाज संभव है, और समय पर कदम उठाने से आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं।

मेल इनफर्टिलिटी एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसे सही समय पर पहचाना और इलाज किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप इसके लक्षणों को समझें और समय रहते डॉक्टर से परामर्श लें। स्वस्थ जीवनशैली, सही खान-पान, और नियमित जांच से आप इस समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं और पिता बनने का सपना पूरा कर सकते हैं।

 

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Bollywood Influence Fashion Trends : लेटेस्ट फैशन की नहीं है जानकारी, तो हिंदी सिनेमा से रूबरू होना है जरूरी https://wellnesshealthorganic.com/bollywood-influence-fashion-trends/ https://wellnesshealthorganic.com/bollywood-influence-fashion-trends/#respond Sat, 10 Aug 2024 13:49:17 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5359 Bollywood Influence Fashion Trends : दुल्हन की अपनी ख्वाहिश होती है कि वह अपनी शादी या फिर दूसरों के वेडिंग फंक्शन में बेहद खूबसूरत नजर आए। अगर आप भी नए-नए लुक को क्रिएट करना चाहती हैं तो बॉलीवुड से टिप्स ले सकती हैं हिंदी सिनेमा में आपको लेटेस्ट फैशन के बारे में पता चलता है। हिंदी सिनेमा की बात करें तो यह शुरू से ही फैशन को लेकर सबसे आगे रहा है। दुल्हन के शादी के जोड़े से लेकर लेटेस्ट ट्रेंड के बारे में हमें यहां पता चलता है। सिनेमा में अपने कई सारे डिजाइनर गाउन, साड़ी, ज्वेलरी, फुटवियर, हेयर स्टाइल के बारे में जरूर देखा होगा। हिंदी सिनेमा में दुल्हन इन सभी चीजों से अपना ब्राइड लुक क्रिएट करती हैं।

जामुनी कलर की साड़ी है ट्रेडिंग

साड़ी की बात करें तो यह लंबे अरसे से भारतीय शादियों में पहनी जाती है। दुल्हन के आउटफिट में साड़ी को शामिल किया जाता है। आपने हिंदी सिनेमा में देखा होगा की साड़ियों को जिस अंदाज में स्टाइल किया जाता है वह काफी लाजवाब होता है। अगर हम एक उदाहरण के तौर पर समझे तो फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ में माधुरी दीक्षित ने जामुनी रंग की खूबसूरत साड़ी पहनी थी जिसमें उन्होंने सीधे पल्ले से इसे कैरी किया हुआ था। जामुनी कलर काफी यूनिक है जिसे बहुत कम महिलाएं साड़ी के रूप में पहनती हैं आज के समय में यह शादी के मौके पर ट्रेडिंग हो गया है।

परंपरा का मेल

आजकल मॉडर्न दुल्हन भी परंपरा के अनुसार ही अपने फैशन को कैरी करती हैं। मॉडर्न दुल्हन एक कलर फैब्रिक और स्टाइल पर ज्यादा ध्यान देती हैं यह हमारी विरासत को दर्शाती है। अपने फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ में काजल की शादी का लहंगा तो देखा ही होगा यह वेडिंग ड्रेस काफी आईकॉनिक है। सुनहरी कड़ाई से सजा हुआ बेज कलर का लहंगा आजकल बहुत पसंद किया जा रहा है। आज हम बेशक मॉडर्न जमाने के साथ आगे बढ़ गए हैं लेकिन पुराने समय की यह आउटपुट भी काफी ट्रेडिंग है।

कैसे चलेगा ट्रेंड

ब्राइडल फैशन को लेकर भारतीय सिनेमा बड़ी-बड़ी खूबियों को दिखाता है यहां पर आप फैशन के ट्रेड से रूबरू होते हैं। ब्राइडल फैशन इंडस्ट्री की बात करें तो डिजाइनर मॉडर्न दुल्हनों की बदलती पसंद के बारे में जानने के बाद तरह-तरह के कलेक्शंस रखने लगे हैं। वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ में आपने देखा ही होगा की खूबसूरत अभिनेत्रियों के महंगे महंगे आउटफिट को कितनी बारीकी से तैयार किया गया है। अगर आप भी हिंदी सिनेमा से जुड़े हुए हैं तो आपको यहां पर फैशन ट्रेंड को लेकर तरह-तरह की चीजों के बारे में पता चलता है।

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Stress in Women : किसे होता है ज्यादा स्ट्रेस पुरुष या महिला ? जानिए क्या है वजह https://wellnesshealthorganic.com/who-gets-more-stress-man-or-woman/ https://wellnesshealthorganic.com/who-gets-more-stress-man-or-woman/#respond Sat, 10 Aug 2024 13:17:04 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5356 Stress in Women : आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव हर किसी के लिए काफी बढ़ गया है। जब बात आती है कि स्ट्रेस पुरुष या महिला किसे ज्यादा होता है ? इस सवाल का जवाब क्या है कि महिलाओं को अधिक स्ट्रेस होता है क्योंकि वह ऑफिस के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियां भी संभालती हैं। इस दौरान कई सारी शारीरिक परेशानियां भी महिलाओं को ट्रस्ट देती है। पुरुषों की तुलना में देखा जाए तो महिलाएं ज्यादा स्ट्रेस में रहती हैं। साइकोलॉजी के मुताबिक एक साथ कई रोल निभाने हेल्थ प्रॉब्लम्स परिवार को लेकर चलना काम का दबाव होमवर्क महिलाओं की जिंदगी पर हावी हो जाता है यही वजह है कि महिलाएं अधिक स्ट्रेस में रहती हैं।

मल्टी टास्किंग

महिलाओं पर कई तरह की जिम्मेदारियां होती है जिसे वह करने में सक्षम भी होती हैं। इन सभी कामों को करने में महिला की इच्छा हो या फिर मजबूरी वह इन्हें पूरा ही करती है। इस तरह से यह जिम्मेदारियां महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से थका देती है। पुरुष की तुलना में महिलाएं मल्टीटास्किंग होती है जो एक साथ घर के काम के साथ-साथ ऑफिस का काम भी संभाल लेती है। ऐसे में महिलाओं को समय-समय पर ब्रेक लेते रहना चाहिए। काम के दबाव से स्ट्रेस बहुत ज्यादा हो जाता है जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।

डिजिटल ओवरलोड

महिलाओं के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वह दिन भर के कामकाज करने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों के हंसते खेलते वीडियो देखी है तो दुखी हो जाती है। असल में जिम्मेदार महिलाओं को यह सब करने का समय नहीं मिलता है जिसकी वजह से वह निराश रहती है और स्ट्रेस होता है। महिलाओं को डिजिटल ओवरलोड काम करना चाहिए इसके लिए आपको अपने लिए भी समय निकालना जरूरी है।

घर में रहना

एक जगह पर पड़े पड़े काम करते रहना महिलाओं के लिए चैलेंजिंग हो जाता है इस तरह से पूरी एनर्जी तनाव में बदल जाती है। आपको अपना ध्यान रखते हुए वीकेंड पर फैमिली के साथ बाहर घूमने का प्लान जरूर बनना चाहिए। ऐसा करने से आपका मूड फ्रेश होता है और आप खुश रहती हैं। इस तरह से आपको तनाव भी नहीं होता है और आपके कामकाज भी अच्छी तरह से चलते रहते हैं।

क्रिएटिविटी ब्लॉक

कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं अपने रोजाना के रूटीन में मशीन की तरह दिन-रात काम करती हैं। इसके बाद उन्हें अलग तरह की एक्टिविटी करने का मौका नहीं मिलता है। महिलाओं की हॉबी या उनका पैशन दबा हुआ रह जाता है इसकी वजह से वह स्ट्रेस लेने लग जाती हैं। अगर आप भी अपनी बोरिंग और थकान भरी जिंदगी से परेशान हो गई है तो आपको कुछ क्रिएटिव करना जरूरी है। इस तरह से आपका मन खुश रहता है और आपको तनाव कम होता है।

उम्मीदें

हर महिला से यह उम्मीद की जाती है कि वह किसी भी काम को पर्फेक्ट तरीके से करें। ऐसे में महिलाओं पर इस बात का पूरा स्ट्रेस रहता है कि वह जिम्मेदारी के साथ काम को पूरा करें। इस दौरान अनिद्रा और डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी आती हैं। महिलाओं को खुद को परफेक्ट कहलन के लिए इन सभी चीजों से गुजरना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं को जीतना जरूरी हो उतना ही काम करना चाहिए। बाकी वह घर के अन्य सदस्यों से भी मदद ले सकती हैं।

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Parenting Tips : आपका बच्चा भी दूसरों से करता है बदतमीजी, तो ऐसे सुधारें आदत https://wellnesshealthorganic.com/parenting-tips-if-your-child-also-misbehaves-with-others/ https://wellnesshealthorganic.com/parenting-tips-if-your-child-also-misbehaves-with-others/#respond Sat, 10 Aug 2024 08:38:39 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5353 Parenting Tips : बच्चों की परवरिश करना माता-पिता की जिम्मेदारी होती है लेकिन कोई कसर रह जाए तो बच्चे बिगड़ जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि बच्चों का बताओ उनकी पर्सनैलिटी दोनों अलग होती है। आपने कई ऐसे बच्चों को देखा होगा जो घर आए मेहमानों के साथ या बाहर वालों के साथ बदतमीजी से बात करते हैं। बच्चों को शुरू से ही दूसरों की इज्जत करना सीखना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी आदत बिगाड़ी चली जाती है। बच्चों के बुरे बर्ताव को सुधारने के लिए आपको कुछ टिप्स फॉलो करने चाहिए जिससे बच्चा एक बेहतर इंसान बने। माता-पिता को बच्चों के बर्ताव को लेकर उन्हें सुधारने की कोशिश करनी चाहिए ताकि बच्चों को उनकी गलती का एहसास हो।

सही और गलत का फर्क

पेरेंट्स को अपने बच्चों को शुरू से ही सही और गलत में फर्क करना सीखना चाहिए। इस तरह से बच्चे आने वाले समय में सही डिसीजन लेना सीख जाते हैं। अगर आपका बच्चा किसी के साथ बदतमीजी करते हुए नजर आता है तो आपको तुरंत रोकना चाहिए इस तरह से आपके बच्चे को सही तरीका बताना चाहिए। जब बच्चे सही और गलत में फर्क करना सिखाते हैं तो यह उनके भविष्य के लिए अच्छा होता है। बड़े होकर वह सही और गलत का डिसीजन आसानी ले सकते हैं।

गुस्सा कंट्रोल

बच्चों को गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है इस पर काबू पाने के लिए आपको बच्चों को समझना चाहिए कि बनते हुए काम भी गुस्से की वजह से बिगड़ जाते हैं। अगर आपका बच्चा भी बहुत ज्यादा गुस्सा करता है और दूसरों के साथ बदतमीजी करता है तो आपको अपने बच्चों से कुछ समय के लिए बातचीत नहीं करनी चाहिए। इस तरह से उन्हें समझ आता है और उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है। इस केस में बच्चे ज्यादातर माफी भी मांग लेते हैं। अगर आप बच्चों से बातचीत जारी रखेंगे तो वह आगे चलकर अपनी गलतियों को दोहराने लगेंगे।

संगति का ध्यान

कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चे दूसरे बच्चों की संगति में रहते हैं तो इसका असर भी पड़ता है। अगर आपका बच्चा भी बदतमीजी शुरु कर रहा है तो उनकी संगति पर आपको रोक लगनी चाहिए। जब बच्चे की संगति गलत हो जाती है तो उनकी पर्सनालिटी पर भी बुरा असर पड़ता है। माता-पिता को पता होना चाहिए कि उनका बच्चा किस तरह के दोस्त बन रहा है। पेरेंट्स को हमेशा दोस्त बनाने के प्रति बच्चों को सावधान करना चाहिए। कई बार बच्चे गलत लोगों की संगति में पड़ जाते हैं जो बड़े होकर अधिक से अधिक पैसे उड़ाते हैं या पार्टी वगेरा करते है।

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