Mental Wellness – Wellnesshealthorganic.com https://wellnesshealthorganic.com Wellnesshealthorganic Thu, 19 Dec 2024 10:20:42 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://wellnesshealthorganic.com/wp-content/uploads/2024/06/cropped-Green_and_White_Circle_Modern_Organic_Shop_Logo-removebg-preview-e1718881254890-32x32.png Mental Wellness – Wellnesshealthorganic.com https://wellnesshealthorganic.com 32 32 Winter Sadness Remedies Ramdev: सर्दियों में उदासी से बचने के उपाय, स्वामी रामदेव का खास मंत्र https://wellnesshealthorganic.com/winter-sadness-remedies-ramdev/ https://wellnesshealthorganic.com/winter-sadness-remedies-ramdev/#respond Thu, 19 Dec 2024 10:19:38 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5765

Winter Sadness Remedies Ramdev: सर्दियों का मौसम जहां ठंडक और आराम का अहसास कराता है, वहीं यह हमारे स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाल सकता है. ठंड के दिनों में लोग अक्सर आलस्य महसूस करते हैं, जो शारीरिक गतिविधियों को कम कर सकता है. इसके साथ ही सर्दी में धूप की कमी से सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) का खतरा बढ़ जाता है. SAD एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति हल्के से लेकर गंभीर उदासी या डिप्रेशन का अनुभव करता है. यह समस्या हमारे मूड और ऊर्जा के स्तर को भी प्रभावित कर सकती है. स्वामी रामदेव के सुझावों के अनुसार, योग और आयुर्वेद अपनाकर सर्दियों में भी सेहतमंद और ऊर्जावान रहा जा सकता है.

विंटर ब्लूज का असर

सर्दियों में विंटर ब्लूज का असर मोटापा, अवसाद, हाई बीपी, मधुमेह और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है. ठंड में पसीना कम निकलने के कारण ब्लड प्रेशर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ता है. इस दौरान शरीर में दर्द, ऊर्जा की कमी और थकावट जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

इन सभी समस्याओं(Winter sadness remedies Ramdev) को दूर करने के लिए नियमित रूप से योगासन और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना बेहद जरूरी है. स्वामी रामदेव के अनुसार, विंटर ब्लूज से बचने के लिए धूप में समय बिताना, कपालभाति प्राणायाम करना और गर्म पानी का सेवन करना लाभदायक होता है.

सेहतमंद जीवन के लिए आयुर्वेदिक टिप्स(Winter Sadness Remedies Ramdev)

सर्दियों में खानपान और दिनचर्या पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. शरीर को गर्म रखने के लिए गिलोय का काढ़ा, अदरक-नींबू की चाय और मेथी पाउडर का सेवन फायदेमंद होता है. वजन कम करने के लिए दालचीनी और त्रिफला का उपयोग किया जा सकता है. इसके अलावा, स्वस्थ खानपान जैसे कि करेला, लौकी, और गोभी का सेवन करें। नियमित रूप से योग मुद्रासन और मंडूकासन करें, जिससे पाचन शक्ति बेहतर होती है और वजन नियंत्रित रहता है.

हाई बीपी और शुगर को नियंत्रित करने के उपाय

हाई ब्लड प्रेशर और शुगर की समस्याओं से बचने के लिए पानी का अधिक सेवन करें और तनाव से दूर रहें. सुबह लहसुन की कलियां चबाएं और नियमित रूप से टमाटर और करेला का जूस पिएं. 6-8 घंटे की नींद लें और जंक फूड से बचें। इसके साथ ही, सर्दियों में धूप में बैठकर शरीर को विटामिन डी प्रदान करें.

स्वामी रामदेव के योग अभ्यास जैसे कपालभाति और प्राणायाम करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है. सर्दियों में इन आयुर्वेदिक और योग उपायों को अपनाकर आप न केवल स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि अपनी दिनचर्या को भी ऊर्जा और सकारात्मकता से भर सकते हैं.

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Hunger Affects Brain Function: भूख लगने पर क्यों नहीं चलता दिमाग? जानें वैज्ञानिक कारण, 99% लोग नहीं जानते जवाब https://wellnesshealthorganic.com/hunger-affects-brain-function/ https://wellnesshealthorganic.com/hunger-affects-brain-function/#respond Tue, 17 Dec 2024 06:54:39 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5732

Hunger Affects Brain Function: क्या आपने कभी महसूस किया है कि जब भूख लगती है, तो दिमाग ठीक से काम नहीं करता? चाहे आप किसी भी काम में लगे हों, जैसे ही भूख का एहसास होता है, आपकी सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होने लगती है. यह केवल एक सामान्य अनुभव नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक कारण भी है. आइए जानते हैं कि भूख और दिमाग का आपस में क्या कनेक्शन है और क्यों खाली पेट रहने पर दिमाग काम करना बंद (Hunger Affects Brain Function) कर देता है.

खाली पेट रहने से क्या होता है?

जब हमें भूख लगती है, तो हमारे शरीर में गट हार्मोन घ्रेलिन(Hormone Ghrelin) का स्तर बढ़ जाता है, जो सीधे दिमाग पर असर डालता है. इस हार्मोन का स्तर बढ़ने से दिमाग की कार्यक्षमता प्रभावित होती है. खाली पेट रहने से ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव आता है, जिससे सुस्ती और थकान महसूस होती है. साथ ही, स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर भी बढ़ जाता है, जो मानसिक तनाव और चिंता को बढ़ाता है, और इस कारण दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता.

भूख का दिमाग से कनेक्शन

विज्ञान में एक दिलचस्प तथ्य सामने आया है कि दिमाग का वह हिस्सा जो फैसले लेने का काम करता है, वह गट में मौजूद हंगर हार्मोन पर निर्भर होता है. जब घ्रेलिन का स्तर अधिक हो जाता है, तो यह दिमाग की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है. शरीर में बनने वाला 50% डोपामिन और 95% सेरोटोनिन गट में ही बनता है. डोपामिन, एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जो हमें खुशी और संतुष्टि का अहसास कराता है, जैसे खाने के बाद या नींद पूरी होने पर.

भूख के कारण दिमाग का काम न करना(Hunger Affects Brain Function)

जब हम भूखे होते हैं, तो न तो सेरोटोनिन बन पाता है, न ही डोपामिन. इसके बजाय, शरीर में कोर्टिसोल बनने लगता है, जो स्ट्रेस को बढ़ाता है और मूड को खराब करता है. इसके अलावा, ब्रेन से सीधे पेट और कोलन तक जाने वाली वेगस नर्व गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के सिग्नल दिमाग तक भेजती है, जिससे दिमाग को यह संकेत मिलता है कि शरीर तनाव में है. यही कारण है कि जब किसी चीज को लेकर घबराहट या नर्वसनेस होती है, तो पेट में दर्द होने लगता है.

इस प्रकार, भूख और दिमाग के बीच एक गहरा संबंध है, जो न केवल मानसिक स्वास्थ्य बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है. जब हमें भूख लगती है, तो हमारा दिमाग अस्थायी रूप से काम करना बंद कर देता है, और यह सभी के लिए एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है. इसलिए, अपने शरीर को समय-समय पर उचित आहार देना जरूरी है, ताकि दिमाग सही तरीके से कार्य कर सके और मानसिक शांति बनी रहे.

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Suicide Risk Age Scientists Findings: इस उम्र में लोग क्यों उठाते हैं सुसाइड जैसे कदम? वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा https://wellnesshealthorganic.com/suicide-risk-age-scientists-findings/ https://wellnesshealthorganic.com/suicide-risk-age-scientists-findings/#respond Tue, 17 Dec 2024 06:09:48 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5726

Suicide Risk Age Scientists Findings: हाल ही में AI इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड(Suicide) केस के बाद सुसाइड पर चर्चा ने एक नया मोड़ लिया है. न्यूज चैनल, अखबार और सोशल मीडिया पर आत्महत्या के मामलों पर जोर-शोर से बात हो रही है. खासकर युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आत्महत्या के मामले दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले कहीं अधिक हैं, और यह चिंता का विषय बन चुका है।

भारत में आत्महत्या के आंकड़े (Suicide Risk Age Scientists Findings)

एनसीआरबी की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 30 से 45 साल की उम्र के लोग आत्महत्या करने में सबसे आगे हैं. इसके बाद 18 से 30 साल की उम्र के युवा और फिर 45 से 60 साल के लोग आते हैं. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि 15 से 19 साल की किशोरावस्था के दौरान आत्महत्या मृत्यु का चौथा बड़ा कारण बन चुका है. भारत में हर रोज 160 से ज्यादा युवा आत्महत्या कर रहे हैं.

आत्महत्या के कारण

एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर नंद कुमार बताते हैं कि आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने के पीछे कई कारण हैं. इनमें परिवार में तनावपूर्ण माहौल, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, नशीली दवाओं का सेवन, रिश्तों में दरार और अकेलापन जैसे कारण प्रमुख हैं.

ग्लोबल अध्ययन और भारत में स्थिति

ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने भी इस पर शोध किया है और पाया कि उम्र दराज युवाओं में हार्मोनल चेंजेस और बढ़ते तापमान के कारण आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि हुई है. भारत में आत्महत्या(Suicide) युवाओं के लिए एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन गया है, और इससे निपटने के लिए मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाना और सही समर्थन प्रणाली बनाना जरूरी है.

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Stone Man Disease: क्या आपके शरीर में तो नहीं है ये खतरनाक बीमारी जो शरीर को बना देती है कंकाल https://wellnesshealthorganic.com/stone-man-disease-do-you-have-this-disease-that-turns-the-body-skeletal/ https://wellnesshealthorganic.com/stone-man-disease-do-you-have-this-disease-that-turns-the-body-skeletal/#respond Mon, 09 Dec 2024 09:43:52 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5622

Stone Man Disease: फाइब्रोडिस्प्लेसिया ओसिफिकेंस प्रोग्रेसिवा (FOP) एक दुर्लभ और गंभीर बीमारी है, जिसे आमतौर पर स्टोन मैन डिजीज (Stone Man Disease) के नाम से जाना जाता है. यह बीमारी इतनी कम होती है कि यह सिर्फ 10 लाख लोगों में से किसी एक को होती है. इसके कारण शरीर में हड्डियों का एक और कंकाल बन जाता है, जो शरीर की सामान्य गतिविधियों को रोक देता है. इसे मंचमेयर डिजीज (Munchmeyer Disease) भी कहा जाता है.

बीमारी का कारण और लक्षण

यह बीमारी ACVR1 नामक जीन में होने वाले म्यूटेशन के कारण होती है. यह जीन हड्डियों के विकास और निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है. जब भ्रूण का विकास हो रहा होता है, तब यह जीन कंकाल के निर्माण में मदद करता है और जीवन भर हड्डियों का ख्याल रखता है. अगर इस जीन में म्यूटेशन हो जाता है, तो शरीर में एक और कंकाल बनने लगता है.

यह बीमारी किसी विशेष इलाके या नस्ल से संबंधित नहीं होती, और किसी भी व्यक्ति को हो सकती है. खास बात यह है कि इसकी कोई फैमिली हिस्ट्री भी नहीं होती. म्यूटेशन के कारण शरीर में मांसपेशियों और टिश्यू की जगह हड्डियों की वृद्धि शुरू हो जाती है, जिससे शरीर में एक अतिरिक्त कंकाल विकसित होने लगता है.

Stone Man Disease के लक्षण

ऊंचाई कम होना
जन्म के समय बड़ी एड़ियां
अंगूठे का अजीब आकार

इसके अलावा, मरीज को शरीर के कुछ हिस्सों में जलन या दर्द महसूस हो सकता है, और बीच-बीच में अकड़न, बुखार जैसे फ्लू के लक्षण भी दिख सकते हैं. यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर के गले, पीठ, छाती, बांह और पैरों को प्रभावित करती है. मरीज की शारीरिक गति पर इसका गहरा असर पड़ता है और 30 साल की उम्र तक वह हिल भी नहीं पाता.

जीवनकाल और उपचार

इस बीमारी से जूझने वाले लोग सामान्यतः 56 साल तक ही जीवित रहते हैं, और इनकी मौत अक्सर कार्डियोरेस्पिरेटरी फेल्योर (हृदय और सांस से संबंधित समस्याओं) के कारण होती है. जब हड्डियां बढ़ने लगती हैं, तो सांस लेने में कठिनाई होती है. इसका कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन दर्द और सूजन कम करने के लिए कुछ दवाइयाँ दी जाती हैं. अमेरिका में Palovarotene नामक दवा उपलब्ध है, जो 54% मामलों में आराम देती है, लेकिन यह पूरी तरह से बीमारी का इलाज नहीं कर पाती.

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BP and Hypertension Control Tips: बीपी और हाइपरटेंशन को इस तरह कर सकते हैं कंट्रोल, जान लें बाबा रामदेव के उपाय https://wellnesshealthorganic.com/this-way-you-can-control-bp-and-hypertension/ https://wellnesshealthorganic.com/this-way-you-can-control-bp-and-hypertension/#respond Tue, 03 Dec 2024 07:30:20 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5533

BP and Hypertension Control Tips: आजकल बीपी(BP) और हाइपरटेंशन(Hypertension) की समस्या आम बात हो गई है इस तरह की समस्या से निपटने के लिए लोग एक्सरसाइज दवाइयां हर चीज का इस्तेमाल करते हैं. बीपी और हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने के लिए आप नेचुरल तरीके भी अपना सकते हैं. अगर आपकी लाइफ स्टाइल ठीक नहीं है आप अपने खाने-पीने का ध्यान नहीं देते हैं सही तरीके से वर्कआउट नहीं करते हैं तो इस तरह की समस्या (BP and Hypertension Control Tips) होती है. अब मौसम बदलने के साथ ही तापमान गिरने लग गया है इस तरह पॉल्यूशन की वजह से कई बीमारियां होती है. वहीं, पर हाइपरटेंशन के कई मरीज है जो कई तरह की समस्याओं से परेशान हैं.

बीपी और डायबिटीज

एक रिपोर्ट के मुताबिक बीपी और डायबिटीज से कैसी बीमारी है जिस समय रहते कंट्रोल न किया जाए तो मौत का कारण बन सकती है. बता दें कि, 20 से 25 साल बाद अब स्ट्रोक से हर साल एक करोड़ लोगों की मौत हो रही है. ऐसे में जरूरी है कि लोगों को अपना बचाव जरूर करना चाहिए इसके लिए रामदेव बाबा के उपाय ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने के लिए बेस्ट है.

फिजिकल एक्टिविटी है जरूरी

1. एक्सरसाइज – जिस तरह से मौसम बदल रहा है ऐसे में फिट रहने के लिए एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है. आपका मैसेज लोग हैं जो एक्सरसाइज बिल्कुल ही नहीं करते.

2. सही एक्सरसाइज – बहुत ऐसे लोग हैं जो एक्सरसाइज तो करते हैं लेकिन सही तरीके के बारे में पता नहीं होता है इस वजह से वर्कआउट का कोई फायदा नहीं मिलता.

3. डेली एक्सरसाइज – एक्सरसाइज के बीच में कभी भी आपको गैप नहीं लेना चाहिए रोजाना एक्सरसाइज करने से ही फायदा मिलता है.

इस तरह बढ़ता है हाई बीपी का खतरा

1. हार्ट अटैक – हाई बीपी की वजह से हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है इसलिए आपको समय रहते इलाज करना चाहिए.

2. ब्रेन स्ट्रोक – ब्रेन स्ट्रोक बहुत ही खतरनाक बीमारी है हाई बीपी की वजह से इसका खतरा व्यक्ति को बना रहता है.

3. किडनी फेल – हाय डीपीआर हाइपरटेंशन की वजह से किडनी फेल की समस्या भी होती है समय रहते इलाज जरूरी होता है.

क्या है हाई बीपी के लक्षण

1. सर दर्द – पर आपको भी हाई बीपी की समस्या है और आपके वजह पता नहीं चल रही है तो सर दर्द इसके लक्षण है.
2. ब्रीदिंग प्रोबलम – अगर आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो हाई बीपी का यह लक्षण माना जाता है.
3. नसों में झनझनाहट – अगर आपकी नसों में झनझनाहट हो रही है तो यह हाई बीपी का एक लक्षण है.
4. चक्कर आना – अगर आपको बार-बार चक्कर आ रहे हैं तो आपको एक बार बीपी जरूर चेक कर लेना चाहिए.

बीपी से बचने के तरीके

1. हेल्दी डायट – हाई बीपी से बचने के लिए एक हेल्थी डाइट बहुत जरूरी होता है.
2. वजन कंट्रोल – हाई बीपी से बचने के लिए वजन को कंट्रोल में रखना चाहिए.
3. पानी पिएं – हाई बीपी को कंट्रोल करने के लिए आपको ढेर सारा पानी पीना चाहिए.
4. स्ट्रेस न लें – हाय बेबी को कंट्रोल करने के लिए आपको स्ट्रेस कम लेना होगा इसके लिए आपको काम में व्यस्त रहना चाहिए.

हाइपरटेंशन से कैसे बचे

हाइपरटेंशन से बचने के लिए आपको नमक की मात्रा अधिक रखनी होगी जिससे यह समस्या नहीं होगी.

हाइपरटेंशन से खुद को बचाने के लिए आपको रोजाना योग और मेडिटेशन करना चाहिए यह आपकी हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है.

हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने के लिए आपको अल्कोहल बिल्कुल बंद कर देना चाहिए यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है.

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Depression Symptoms: महिलाओं पर जल्दी हावी होता डिप्रेशन, दिखे ये लक्षण तो हो जाएं सावधान https://wellnesshealthorganic.com/depression-quickly-overpowers-women/ https://wellnesshealthorganic.com/depression-quickly-overpowers-women/#respond Wed, 27 Nov 2024 09:43:12 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5498

Depression Symptoms: डिप्रेशन सीधे तौर पर मूड डिसऑर्डर के रूप में जानते हैं, जो किसी भी व्यक्ति को हो सकता है. इस दौरान समय-समय पर हमारा मन बदलता रहता है. वहीं, अगर पुरुषों की तुलना में महिलाओं की बात करें, तो यह महिलाओं को ज्यादा इफेक्ट करता है. आज के समय में महिलाएं मल्टीटास्किंग बन चुकी हैं, लेकिन उन्हें यह समझना (Depression Symptoms) जरूरी है कि वह सबसे पहले एक इंसान है. इस तरह से आराम न करने की वजह से दूसरों की जरूरत को पूरा करना हमेशा दूसरों के लिए बिजी रहना उन्हें डिप्रेशन का शिकार बना देता है.

बायोलॉजिकल कारण

महिलाओं में डिप्रेशन की बात करें तो बायोलॉजिकल चीज भी शामिल है. कुछ महिलाओं को अपना करियर दांव पर लगा या फिर बच्चे पैदा करना डिप्रेशन में लेकर चला जाता है. महिलाओं को अपने अंदर डिप्रेशन के लक्षण की पहचान करके समय रहते सावधान हो जाना चाहिए.

क्या है डिप्रेशन के लक्षण

1. चिड़चिड़ापन – इस दौरान हमें किसी की कही हुई बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगती है चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है.
2. मूड स्विंग – डिप्रेशन में मूड स्विंग होते हैं इस दौरान हम कभी खुश तो कभी दुखी रहते हैं.
3. थकावट – डिप्रेशन के दौरान ज्यादा थकान होने लग जाती है इस वजह से हम अपना कोई दूसरा काम नहीं कर पाते.
4. किसी काम में दिलचस्पी न लेना – डिप्रेशन में हमें कोई भी चीज अच्छी नहीं लगती है और हम उन चीजों से दूर भागते हैं.
5. नींद पूरी न होना – ऑपरेशन के समय नींद भी नहीं आती है जिसकी वजह से अनिद्रा की समस्या हो जाती है.
6. वजन घटना या बढ़ता – डिप्रेशन के दौरान वजन कम भी हो सकता है या फिर बढ़ भी सकता है.
7. ज्यादा भूख लगा – डिप्रेशन के समय फूड क्रेविंग होती है इस तरह से ज्यादा से ज्यादा भूख लगती है.
8. ओवरथिंकिंग करना – डिप्रेशन में इंसान बहुत ज्यादा सोचने लग जाता है. इस तरह से ओवरथिंक करना नुकसानदायक है.
9. नेगेटिव सोचना – डिप्रेशन के दौरान इंसान के मन में नेगेटिव चीज आने लग जाती है और वह उसी तरह से सोचने लगता है.
10. जीरो सेल्फ केयर – डिप्रेशन में रहने वाला व्यक्ति अपनी केयर बिल्कुल भी नहीं करता है वह खुद के प्रति लापरवाह हो जाता है.
11. अकेलापन – डिप्रेशन में रहने वाला व्यक्ति हमेशा अकेला रहना पसंद करता है वह लोगों की भीड़ में नहीं जाता.
12. मेमोरी लॉस – डिप्रेशन में रहने के दौरान कई बार ऐसा होता है कि कई चीज याद नहीं रहती है.

इस तरह डिप्रेशन से निपटें

डिप्रेशन से निपटने के लिए आपको जागरूक होना होगा खुद की मदद करनी होगी अपने लिए समय सीमा तय करनी होगी. आपने अपने लिए जो समय निकाला है दूसरों को इसमें बिल्कुल ना आने दें. आपको योग या ध्यान का सहारा लेना चाहिए इस तरह से डिप्रेशन को ठीक किया जा सकता है. सेल्फ केयर की बात करें तो आपको एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए साइकोथेरेपी की मदद लेनी चाहिए. आज के समय में कई तरह की हेल्पलाइन सेवाएं भी है अगर आप डिप्रेशन से जूझ रही हैं तो अपनी समस्याओं को शेयर कर सकती हैं.

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Stress in Women : किसे होता है ज्यादा स्ट्रेस पुरुष या महिला ? जानिए क्या है वजह https://wellnesshealthorganic.com/who-gets-more-stress-man-or-woman/ https://wellnesshealthorganic.com/who-gets-more-stress-man-or-woman/#respond Sat, 10 Aug 2024 13:17:04 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5356 Stress in Women : आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव हर किसी के लिए काफी बढ़ गया है। जब बात आती है कि स्ट्रेस पुरुष या महिला किसे ज्यादा होता है ? इस सवाल का जवाब क्या है कि महिलाओं को अधिक स्ट्रेस होता है क्योंकि वह ऑफिस के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियां भी संभालती हैं। इस दौरान कई सारी शारीरिक परेशानियां भी महिलाओं को ट्रस्ट देती है। पुरुषों की तुलना में देखा जाए तो महिलाएं ज्यादा स्ट्रेस में रहती हैं। साइकोलॉजी के मुताबिक एक साथ कई रोल निभाने हेल्थ प्रॉब्लम्स परिवार को लेकर चलना काम का दबाव होमवर्क महिलाओं की जिंदगी पर हावी हो जाता है यही वजह है कि महिलाएं अधिक स्ट्रेस में रहती हैं।

मल्टी टास्किंग

महिलाओं पर कई तरह की जिम्मेदारियां होती है जिसे वह करने में सक्षम भी होती हैं। इन सभी कामों को करने में महिला की इच्छा हो या फिर मजबूरी वह इन्हें पूरा ही करती है। इस तरह से यह जिम्मेदारियां महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से थका देती है। पुरुष की तुलना में महिलाएं मल्टीटास्किंग होती है जो एक साथ घर के काम के साथ-साथ ऑफिस का काम भी संभाल लेती है। ऐसे में महिलाओं को समय-समय पर ब्रेक लेते रहना चाहिए। काम के दबाव से स्ट्रेस बहुत ज्यादा हो जाता है जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।

डिजिटल ओवरलोड

महिलाओं के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वह दिन भर के कामकाज करने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों के हंसते खेलते वीडियो देखी है तो दुखी हो जाती है। असल में जिम्मेदार महिलाओं को यह सब करने का समय नहीं मिलता है जिसकी वजह से वह निराश रहती है और स्ट्रेस होता है। महिलाओं को डिजिटल ओवरलोड काम करना चाहिए इसके लिए आपको अपने लिए भी समय निकालना जरूरी है।

घर में रहना

एक जगह पर पड़े पड़े काम करते रहना महिलाओं के लिए चैलेंजिंग हो जाता है इस तरह से पूरी एनर्जी तनाव में बदल जाती है। आपको अपना ध्यान रखते हुए वीकेंड पर फैमिली के साथ बाहर घूमने का प्लान जरूर बनना चाहिए। ऐसा करने से आपका मूड फ्रेश होता है और आप खुश रहती हैं। इस तरह से आपको तनाव भी नहीं होता है और आपके कामकाज भी अच्छी तरह से चलते रहते हैं।

क्रिएटिविटी ब्लॉक

कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं अपने रोजाना के रूटीन में मशीन की तरह दिन-रात काम करती हैं। इसके बाद उन्हें अलग तरह की एक्टिविटी करने का मौका नहीं मिलता है। महिलाओं की हॉबी या उनका पैशन दबा हुआ रह जाता है इसकी वजह से वह स्ट्रेस लेने लग जाती हैं। अगर आप भी अपनी बोरिंग और थकान भरी जिंदगी से परेशान हो गई है तो आपको कुछ क्रिएटिव करना जरूरी है। इस तरह से आपका मन खुश रहता है और आपको तनाव कम होता है।

उम्मीदें

हर महिला से यह उम्मीद की जाती है कि वह किसी भी काम को पर्फेक्ट तरीके से करें। ऐसे में महिलाओं पर इस बात का पूरा स्ट्रेस रहता है कि वह जिम्मेदारी के साथ काम को पूरा करें। इस दौरान अनिद्रा और डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी आती हैं। महिलाओं को खुद को परफेक्ट कहलन के लिए इन सभी चीजों से गुजरना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं को जीतना जरूरी हो उतना ही काम करना चाहिए। बाकी वह घर के अन्य सदस्यों से भी मदद ले सकती हैं।

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Parenting Tips : आपका बच्चा भी दूसरों से करता है बदतमीजी, तो ऐसे सुधारें आदत https://wellnesshealthorganic.com/parenting-tips-if-your-child-also-misbehaves-with-others/ https://wellnesshealthorganic.com/parenting-tips-if-your-child-also-misbehaves-with-others/#respond Sat, 10 Aug 2024 08:38:39 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5353 Parenting Tips : बच्चों की परवरिश करना माता-पिता की जिम्मेदारी होती है लेकिन कोई कसर रह जाए तो बच्चे बिगड़ जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि बच्चों का बताओ उनकी पर्सनैलिटी दोनों अलग होती है। आपने कई ऐसे बच्चों को देखा होगा जो घर आए मेहमानों के साथ या बाहर वालों के साथ बदतमीजी से बात करते हैं। बच्चों को शुरू से ही दूसरों की इज्जत करना सीखना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी आदत बिगाड़ी चली जाती है। बच्चों के बुरे बर्ताव को सुधारने के लिए आपको कुछ टिप्स फॉलो करने चाहिए जिससे बच्चा एक बेहतर इंसान बने। माता-पिता को बच्चों के बर्ताव को लेकर उन्हें सुधारने की कोशिश करनी चाहिए ताकि बच्चों को उनकी गलती का एहसास हो।

सही और गलत का फर्क

पेरेंट्स को अपने बच्चों को शुरू से ही सही और गलत में फर्क करना सीखना चाहिए। इस तरह से बच्चे आने वाले समय में सही डिसीजन लेना सीख जाते हैं। अगर आपका बच्चा किसी के साथ बदतमीजी करते हुए नजर आता है तो आपको तुरंत रोकना चाहिए इस तरह से आपके बच्चे को सही तरीका बताना चाहिए। जब बच्चे सही और गलत में फर्क करना सिखाते हैं तो यह उनके भविष्य के लिए अच्छा होता है। बड़े होकर वह सही और गलत का डिसीजन आसानी ले सकते हैं।

गुस्सा कंट्रोल

बच्चों को गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है इस पर काबू पाने के लिए आपको बच्चों को समझना चाहिए कि बनते हुए काम भी गुस्से की वजह से बिगड़ जाते हैं। अगर आपका बच्चा भी बहुत ज्यादा गुस्सा करता है और दूसरों के साथ बदतमीजी करता है तो आपको अपने बच्चों से कुछ समय के लिए बातचीत नहीं करनी चाहिए। इस तरह से उन्हें समझ आता है और उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है। इस केस में बच्चे ज्यादातर माफी भी मांग लेते हैं। अगर आप बच्चों से बातचीत जारी रखेंगे तो वह आगे चलकर अपनी गलतियों को दोहराने लगेंगे।

संगति का ध्यान

कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चे दूसरे बच्चों की संगति में रहते हैं तो इसका असर भी पड़ता है। अगर आपका बच्चा भी बदतमीजी शुरु कर रहा है तो उनकी संगति पर आपको रोक लगनी चाहिए। जब बच्चे की संगति गलत हो जाती है तो उनकी पर्सनालिटी पर भी बुरा असर पड़ता है। माता-पिता को पता होना चाहिए कि उनका बच्चा किस तरह के दोस्त बन रहा है। पेरेंट्स को हमेशा दोस्त बनाने के प्रति बच्चों को सावधान करना चाहिए। कई बार बच्चे गलत लोगों की संगति में पड़ जाते हैं जो बड़े होकर अधिक से अधिक पैसे उड़ाते हैं या पार्टी वगेरा करते है।

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Online Gaming : बच्चों को लगी है ऑनलाइन गेमिंग की गन्दी लत, तो पेरेंट्स अपनाएं ये 5 आसान तरीके https://wellnesshealthorganic.com/online-gaming-tips-for-children/ https://wellnesshealthorganic.com/online-gaming-tips-for-children/#respond Thu, 08 Aug 2024 13:59:27 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5334 Online Gaming : आजकल के बच्चे किताबों से ज्यादा अपने फ़ोन में डूबे हुए हैं। ज़्यादातर बच्चों की पढ़ाई अब फ़ोन के माध्यम से होती है, जिसमें उनकी ऑनलाइन क्लासेस शामिल हैं। हालाँकि, पढ़ाई करते-करते कई बच्चे ऑनलाइन गेमिंग की गंदी लत में फंस जाते हैं। ये ऑनलाइन गेमिंग न केवल उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत को प्रभावित कर रही है, बल्कि इससे उनके भविष्य पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है।

कई माता-पिता अपने बच्चों की ऑनलाइन गेमिंग से परेशान हैं और यह सोचते हैं कि कैसे उन्हें इस लत से निजात दिलाई जाए। यदि आप भी ऐसे माता-पिता में से एक हैं, तो यहां कुछ प्रभावी तरीके दिए गए हैं, जो आपके बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग से दूर रखने में मदद कर सकते हैं:

1. पढ़ाई का सही शेड्यूल बनाएं

बच्चों के लिए एक प्रभावी पढ़ाई का शेड्यूल बनाएं, जिसमें पढ़ाई, खेल और परिवार के साथ समय बिताने का संतुलन हो। सुबह और शाम के समय को पढ़ाई के लिए निर्धारित करें, जबकि दिन के बीच में खेल और मनोरंजन के लिए समय निकालें। इससे बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे।

2. फ़ोन से दूरी करके विकल्प प्रदान करें

बच्चों को फ़ोन से दूर रखने के लिए उन्हें अन्य शौक और गतिविधियों में शामिल करें। जैसे कला, संगीत, खेल या पढ़ाई से संबंधित प्रोजेक्ट्स। इन गतिविधियों के माध्यम से उनका ध्यान फ़ोन से हटेगा और वे टीमवर्क और आत्म-सम्मान विकसित करेंगे।इसके साथ ही बच्चों को होमवर्क करने में मदद करें और उन्हें समय पर सभी कार्य पूरे करने के लिए प्रेरित करें। इससे उन्हें पढ़ाई में रुचि बनेगी और गेमिंग की ओर ध्यान नहीं जाएगा। आप इस बात का भी ध्यान रखे की घर में छोटे-मोटे प्रतियोगिताएं आयोजित जरूर करें, जैसे पढ़ाई में प्रतियोगिता या शारीरिक खेलों की। इससे बच्चे खेलों और पढ़ाई में रुचि ज्यादा लेंगे।

3. बातचीत का रास्ता

बच्चों को गेमिंग को लेकर डांटना या पीटना सही नहीं है, क्योंकि इससे वे और जिद्दी हो जाते हैं और रात में छिपकर गेम खेलने लगते हैं। यदि आपका बच्चा इस लत में फंस रहा है, तो उससे बातचीत करें। उन्हें समझाएं कि गेमिंग उनकी आंखों और मेमोरी के लिए हानिकारक हो सकती है। इससे वे आपकी बात को गंभीरता से लेंगे।

4. टेक्नोलॉजी का सही उपयोग

बच्चों को ऐसे ऐप्स और गेम्स से परिचित कराएं जो उनके ज्ञान को बढ़ाने में मदद करें, जैसे शैक्षिक गेम्स।
इन उपायों को अपनाकर आप अपने बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की लत से दूर रख सकते हैं और उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं। एक सकारात्मक वातावरण और सही दिशा में मार्गदर्शन देने से बच्चे न केवल पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करेंगे, बल्कि स्वस्थ और खुशहाल जीवन भी जी सकेंगे।

5. खुद को भी बदलना होगा और गेम्स पर ध्यान दें

बच्चों के बचपन को बचाने के लिए ऑनलाइन गेम्स और मोबाइल फोन से दूरी बनाना जरूरी है। यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे मोबाइल से चिपके न रहें, तो आपको भी उनके सामने इसका इस्तेमाल कम करना होगा। साथ ही, उन्हें हिंसक या मारपीट वाले गेम्स से दूर रखें, क्योंकि ये बच्चों में हिंसक स्वभाव विकसित कर सकते हैं। इस प्रकार, आप उन्हें गुस्सैल होने से भी बचा सकते हैं।

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Still Tired After Waking Up? Here Are 5 Possible Explanations for Your Poor Sleep https://wellnesshealthorganic.com/still-tired-after-waking-up-here-are-5-possible-explanations-for-your-poor-sleep/ https://wellnesshealthorganic.com/still-tired-after-waking-up-here-are-5-possible-explanations-for-your-poor-sleep/#respond Tue, 06 Aug 2024 03:58:13 +0000 https://wellnesshealthorganic.com/?p=5297 Still Tired in the Morning? Know the Root Causes to Fix It Morning lethargy can really slow down your entire day. Dietician Shweta J Panchal explains some common reasons that might be affecting your sleep quality and leaving you feeling unrested. You could be sleeping for 7 to 8 hours every night but still wake up in the morning with a tired feeling. This can be very confusing and frustrating. Many of us reach for the caffeine to shake off the sluggishness but that is not the solution to this problem. Our lifestyle and dietary habits play an important role in our sleep cycle. If you are tired even after waking up on time then it’s important to know what might be the reason. Below are a few reasons you might tend to feel tired after waking up.

5 Reasons You Might Feel Tired After Waking Up

Sleep Deprivation

Most of us have a tendency to fall asleep during phone scrolling. It affects our sleep, because the screens of the phones have high richness of blue light, which creates an impact on the sleep hormone ‘melatonin’, hence disrupting our body’s natural sleep cycle. This makes us super restless and fatigued in the morning by this brand new day. Results: avoid phones before bedtime and load up feeling refreshed and reloaded.

Dehydration

How much water you ingest during the day will matter a lot to how you sleep. Dehydration during the day will impact the levels of amino in your body. Lack of enough amino hampers this conversion process of tryptophan to hormone to melatonin. This leads to inadequate melatonin. You wake up in the morning tired and groggy.

Hormonal Imbalance

It’s an imbalance in hormonal levels, particularly in the thyroid, which may be affecting your overall metabolism and even the quality of your sleep. This imbalance makes you feel tired, even having got a full night’s sleep. In such a situation, don’t hesitate to see your doctor as soon as you suspect an imbalance in your thyroid.

Vitamin Deficiencies

Due to a deficiency in some vitamins, and especially iron, you may feel very tired. Adequately balancing the iron in your system is essential if you want to remain active and refreshed during the day. When you feel that you have a significantly depleted amount of iron, a balanced diet or even iron supplements can go a long way to replenish your daily requirement.

Increased Stress

Too much stress ultimately derails your good night’s sleep, leaving you feeling all drained next morning. Stress aggravates the production of cortisol that disrupts sleep patterns. Strategize to reduce stress by activities such as meditation, yoga, or even deep breathing exercises. It will help with less stress and better sleep.

Realizing and solving these problems can assist you in waking up fresh and with more energy to tackle the day.

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