Hysterectomy : हिस्टेरेक्टॉमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें महिलाओं का गर्भाशय सर्जरी की मदद से निकाला जाता है। कई वजह से ऑपरेशन भी किया जाता है जिसका शरीर और मन पर भी गहरा असर पड़ता है। यह एक ऐसा प्रोसेस है इसके बाद महिलाएं नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट हो सकती हैं। बता दें कि, गर्भाशय में कैंसर और सिस्ट जैसी परेशानी की वजह से सर्जरी करना जरूरी होता है। जब प्रजनन प्रणाली में किसी तरह की दिक्कत होती है तो इस बीमारी के इलाज के लिए सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी के बाद महिलाओं को खास ध्यान रखने की जरूरत होती है।
कितने प्रकार की होती है हिस्टेरेक्टॉमी ?
हिस्टेरेक्टॉमी कई तरह की होती है इस दौरान रिप्रोडक्टिव सिस्टम का कौन सा अंग निकाला जाना चाहिए और इसके साथ समय सीमा भी अलग-अलग होती है।
1. टोटल हिस्टेरेक्टॉमी में गर्भाशय ग्रीवा को निकाल लिया जाता है यह सबसे बड़ा होता है।
2. इसमें गर्भाशा के ऊपरी हिस्से को निकाला जाता है इसमें गर्भाशय ग्रीवा को अपनी जगह पर ही रहने दिया जाता है।
3. तीसरे तरह है हिस्टेरेक्टॉमी में गर्भाशय के साथ-साथ दोनों अंडाशय और ट्यूब को निकाल लिया जाता है।
कब की जाती है हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी
जब गर्भाशय में कैंसर सेल्स बढ़ाने लग जाते हैं तो ज्यादा ब्लीडिंग और दर्द प्रेशर की समस्या होती है ऐसे में डॉक्टर यह सर्जरी करने की सलाह देते हैं। यह एक ऐसी समस्या है, जो गर्भाशय के समान ही टिशु होता है जिसमें दर्द और ब्लीडिंगबनी रहती है। इस दौरान मांसपेशियां कमजोर हो जाती है गर्भाशय योनि मार्ग की ओर खिसक जाता है इस कंडीशन में भी सर्जरी की जाती है।
सर्जरी करने के तरीके क्या है ?
सर्जरी को करने के कई तरीके हैं गर्भाशय को हटाने के बाद पेट के निचले हिस्से पर खीर लगाया जाता है और गर्भाशय निकाल लिया जाता है। इसके अलावा दूसरा तरीका यह है कि वैजाइना में चीरा लगाया जाता है और गर्भाशय को हटा दिया जाता है इसके बाद वजाइना के अंदर टांके लगाए जाते हैं। इस दौरान भी कभी जल्दी होती है आज के समय में ज्यादातर इसी सर्जरी की मदद ली जाती है। दूसरे तरह की सर्जरी करने के लिए पेट में चीरा लगाया जाता है और गर्भाशय का इलाज किया जाता है। इस दौरान पीरियड्स बंद हो जाते हैं कुछ महिलाओं को कई बदलाव भी महसूस होते हैं।